बच्चों के पालन में ध्यान रखेंगे ये बातें तो भविष्य होगा सुखद

बच्चों के पालन में ध्यान रखेंगे ये बातें तो भविष्य होगा सुखद





संदेह ऐसा शस्त्र है, जो आपकी सुरक्षा के काम आ सकता है और आत्मघाती भी हो सकता है। खासतौर पर संदेह यदि परिवार में उतर आए तो फिर परिवार बचाना मुश्किल हो जाता है। आज सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि माता-पिता और पति-पत्नी भी संदेह के दायरे में आ गए हैं। माता-पिता बच्चों पर संदेह करने लगे हैं। उनके भविष्य की रक्षा के लिए संदेह कर रहे हों यहां तक तो ठीक है, परंतु जब अपने भविष्य को लेकर बच्चों पर संदेह करने लगें कि ये बड़े होकर हमारी रक्षा-सेवा करेंगे या नहीं, यह खतरनाक है।


पहले माता-पिता सिर्फ समर्पण भाव से बच्चों को पालते थे, लेकिन आज वे भविष्य को लेकर डरे हुए हैं। संदेह अच्छे-अच्छों को भ्रम में डाल देता है। संकुचित कर देता है और अंत में संताप में पटक देता है। बच्चों का भी यही हाल है। पहले बच्चे माता-पिता के साथ श्रद्धा और विश्वास से जुड़े थे। ये दोनों संदेह की तरह जीवन को संकुचित नहीं करते, उसे विस्तार देते हैं, इसलिए पहले बच्चों को अच्छा लगता था कि परिवार और हमसे अधिक से अधिक लोग जुड़ें परंतु आज कोई किसी को साथ रखने को तैयार नहीं है। इसका एक कारण और है कि माता-पिता मैनेजर की भूमिका में ज्यादा आ गए हैं। एक अजीब प्रबंधन के साथ बच्चे पाले जा रहे हैं। प्रबंधक और लीडर में फर्क होना चाहिए। उदाहरण के लिए स्वामी रामकृष्ण परमहंस बहुत अच्छे प्रबंधक थे, लेकिन लीडर होने की योग्यता उन्होंने विवेकानंद में खोजी और इन दोनों का मणिकांचन योग विश्व को अनूठा वरदान दे गया, इसलिए यदि माता-पिता अपने भीतर प्रबंधक और लीडर होने की योग्यता उतारें तो उनका और बच्चों का योग वैसा ही बन जाएगा जैसा रामकृष्ण और विवेकानंद का था।