कैफीन आधारित यौगिक से पार्किंसन से बचाव




कनाडा के शोधकर्ताओं ने कैफीन आधारित दो यौगिक विकसित किए हैं, जो पार्किंसन बीमारी से रक्षा करते हैं। पार्किंसन की बीमारी तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है, जिसके कारण शरीर में कंपकंपी होती है, मांसपेशियों में जकडऩ आ जाती है तथा सामान्य शारीरिक गतिविधियों में भी गड़बड़ी पैदा हो जाती है। सामान्यत: यह बीमारी मध्य आयु या बुढ़ापे में होती है।
यह बीमारी मस्तिष्क कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) की कमी से होती है, जो डोपेमाइन का उत्पादन करती हैं। डोपेमाइन न्यूरॉन्स को आपस में संपर्क करने के लिए एक जरूरी न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में काम करता है। सस्केचेवान विश्वविद्यालय के शोध दल ने अल्फा-सिनुक्लिन (एएस) प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया, जो डोपेमाइन का विनियमन करती है।
पार्किंसन रोग के शिकार लोगों में एएस मिसफोल्ड (प्रोटीन की असामान्य जैविक प्रकिया) होकर एक सघन संरचना में बदल जाता है, जो डोपेमाइन का उत्पादन करनेवाले न्यूरॉन्स को नष्ट करने लगता है। सस्केचेवान विश्वविद्यालय के शोध दल के प्रमुख शोधार्थियों में से एक जेरेमी ली का कहना है, वर्तमान चिकित्सकीय यौगिकों में जिंदा बचे कोशिकाओं से डोपेमाइन के उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है, लेकिन यह तभी तक प्रभावी है जब तक इस काम को करने के लिए कोशिकाओं की पर्याप्त संख्या जीवित हो।
ली ने आगे कहा, हमारा दृष्टिकोण डोपेमाइन का उत्पादन करनेवाली कोशिकाओं के एएस को मिसफोल्ड होने से रोकना है। हालांकि इस प्रक्रिया को रोकना एक बड़ी रासायनिक चुनौती है। लेकिन ली ने कहा कि उनके दल ने 30 अलग-अलग दवाइयों को विकसित कर लिया है, जो इस काम को कर सकती हैं। यह अध्ययन एसीएस केमिकल न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।